26 नवम्बर 1947 को एक अच्छे कद वाले व्यक्ति, अपना सूट पहने, चमड़े का ब्रीफकेस पकड़ें हुए, दृढ़ तरीके से कैमरा की ओर पोज करते है। इसके बाद वह संसद भवन की तरफ इतिहास रचने के लिए चले जाते है। सनमुखम चेट्टी, भारत के पहले वित्त मंत्री, वह उस दिन संसद भवन में बैठे हर चेहरे से वाकिफ थे। आखिरी बार उन्होंने इन चेहरों को उसी वर्ष 30 अगस्त को देखा था – जब संविधान सभा आखिरी बार बैठी थी। अब नवंबर में भारत की संविधान सभा विधायिका के रूप में कार्य कर रही थी।
चेट्टी ने दिसंबर 1946 से ही शुरू संविधान सभा में मुश्किल से ही कुछ बोले होंगे । लेकिन मौन आज विकल्प नहीं था – उन्हें आज आजाद भारत का पहला बजट पेश करना था। वह उठकर खड़े हुए और बोले:
‘मैं आज़ाद और स्वतंत्र भारत का बजट पेश करने के लिए आज खड़ा हुआ हूँ। इसे एक ऐतिहासिक अवसर भी माना जा सकता है और मैं इसे अपनी खुशनसीबी मानता हु कि भारत के वित्त मंत्री होने के नाते इस बजट को पेश करने का मौका मुझे मिला। जबकि मैं इस पद पर निहित सम्मान के प्रति सचेत हु उसी के साथ मैं इस महत्वपूर्ण मोड़ पर भारत के वित्त के संरक्षक का सामना करने वाली जिम्मेदारियों के प्रति और भी अधिक जागरूक हूं…‘
उन्होंने फिर तेजी से एक स्पष्ट समस्या को उठा दिया: ‘बटवारे का जो भी राजनैतिक औचित्य रहा हो, इसके आर्थिक परिणाम की पूर्ण तरीके से सराहना होनी चाहिए, यदि दोनो नए राज्यों में आम आदमी के हितों की रक्षा करनी है‘। आश्चर्यजनक ढंग से चेट्टी सुझाव देते है की भारत और पाकिस्तान की आर्थिक समृद्धि जुड़ी हुई है एवम इनके आर्थिक सहयोग व एकीकरण को ध्यान में रखते हुए दोनो देशों के ताकत और कमजोरी का अंदाजा लगाया जा सकता है।
चेट्टी फिर हमें भारत के आर्थिक स्थिति की विशिष्टता से अवगत कराते हुए अपनी वित्तीय योजना प्रस्तुत करते हैं । वह कहते है की यह बजट एक अंतरिम बजट है और यह साढ़े सात महीने, 15 अगस्त 1947 से 31 मार्च 1948 की अवधि तक का है। लक्षित बजट राजस्व रु 171.5 करोड़ थे, राजस्व व्यय रु 197 करोड़ रहा और राजकोषीय घाटा रु 26 करोड़ रहा।
बजट की प्राथमिकताओं ने उस समय की भारत की राजनैतिक एवम आर्थिक परिस्थितियों को दिखाया। बजट के बड़े हिस्से को बटवारा से संबंधित राहत और पुनर्वास, अनाज की रक्षा एवम आत्मनिर्भरता की ओर आवंटित कर दिया था। बजट का एक अधिक हिस्सा 47%, रक्षा व्यय के लिए आवंटित कर दिया गया।
बजट को लेकर सार्वजनिक प्रतिक्रिया नपी हुई और अध्रुवित नजर आई। एक अखबार ने अपने पहले पन्ने की रिपोर्ट का शीर्षक दिया, ‘आजाद भारत का पहला बजट: ‘नो सरप्राइजेज‘ क्योंकि चेट्टी ने अपने पहले भाषण में यह कहा था की बजट के संबंध में कोई अप्रत्याशित तथ्य नहीं होंगे। ऐसा लगता है की चेट्टी ने आसानी से यह आस्श्वस्त किया की भारत कंगाली की ओर नही बढ़ रहा है और यह काफी है। अभी ब्लॉकबस्टर बजट के दिन आए नही थे।
चेट्टी एक छोटी अवधि के लिए वित्त मंत्री रहे एवम उनके कार्यकाल को विवादित समाप्ति मिली। उनपे यह आरोप लगाया गया था की उन्होंने कई मिल मालिकों की छानबीन नही की जो टैक्स चोरी के मामलों में संदिग्ध पाए गए थे। इस विवाद के पीछे दो कारण दिए जाते हैं : पहला यह की चेट्टी ने अपनी मर्जी से मिल मालिकों के पीछे न जाने का फैसला किया, दूसरा यह बताता है की पटेल ने चेट्टी को प्रभावित किया। अंत में नेहरू ने चेट्टी को अपने कागजात सौंपने पर मजबूर कर दिया, और इसी तरह चेट्टी स्वतंत्र भारत के पहले इसे वित्त मंत्री बने जिन्हे इस्तीफा देने पर मजबूर किया गया।
This Piece is translated by Bhawna Sharma & Edited by Rajesh Ranjan from Constitution Connect.